Marakatha Sri Lakshmi Ganapathi Stotram – मरकत श्री लक्ष्मीगणपति स्तोत्रम्

P Madhav Kumar

 

वरसिद्धिसुबुद्धिमनोनिलयं
निरतप्रतिभाफलदान घनं
परमेश्वर मान समोदकरं
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ १ ॥

अणिमां महिमां गरिमां लघिमां
घनताप्ति सुकामवरेशवशान्
निरतप्रदमक्षयमङ्गलदं
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ २ ॥

जननीजनकात्मविनोदकरं
जनताहृदयान्तरतापहरं
जगदभ्युदयाकरमीप्सितदं
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ ३ ॥

वरबाल्यसुखेलनभाग्यकरं
स्थिरयौवनसौख्यविलासकरं
घनवृद्धमनोहरशान्तिकरं
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ ४ ॥

निगमागमलौकिकशास्त्रनिधि
प्रददानचणं गुणगण्यमणिम्
शततीर्थविराजितमूर्तिधरम्
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ ५ ॥

अनुरागमयं नवरागयुतं
गुणराजितनामविशेषहितं
शुभलाभवरप्रदमक्षयदं
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ ६ ॥

पृथिवीश सुपूजितपादयुगं
रथयान विशेषयशोविभवं
सकलागम पूजितदिव्यगुणं
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ ७ ॥

गगनोद्भवगाङ्गसरित्प्रभव
प्रचुराम्बुजपूजितशीर्षतलं
मणिराजितहैमकिरीटयुतं
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ ८ ॥

द्विजराजदिवाकरनेत्रयुतं
कमनीयशुभावहकान्तिहितं
रमणीय विलासकथाविदितं
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ ९ ॥

हृदयान्तरदीपकशक्तिधरं
मधुरोदयदीप्तिकलारुचिरं
सुविशालनभोङ्गणदीप्तिकरं
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ १० ॥

कविराजविराजितकाव्यमयं
रविकान्ति विभासितलोकमयं
भुवनैक विलासितकीर्तिमयं
प्रणमामि निरन्तरविघ्नहरम् ॥ ११ ॥

श्री मरकत लक्ष्मीगणेश स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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