यहां आज सभा में सबसे पहले, सुमिरन करता तेरा,
तुम संकट हरियो मेरा-२
तर्ज: जहाँ डाल-डाल पर…..
तुम सब देवन में देव बड़े हो, पहले तुम्हें मनाते,
संकट में आकर भक्तों की, तुम ही तो लाज बचाते,
अब लाज आज रख मेरी भी, संकट ने मुझको घेरा,
तुम संकट हरियो मेरा-२
मात तुम्हारी पार्वती, शंकर जी पिता कहाते,
तुम मूषक चढ़ के आवो गणपति, भक्त तुम्हें हैं बुलाते,
अब आकर भोग लगावो गणपति, बालक जान के तेरा,
तुम संकट हरियो मेरा-२
जो सच्चे मन से करे ध्यावना, उसके काज बन जाते,
जो नर ना करे पूजा तेरी, वो सफल नहीं हो पाते,
अपने भक्त की लाज राख तेरी, शरण में डाला डेरा,
तुम संकट हरियो मेरा-२
यहां आज सभा में सबसे पहले, सुमिरन करता तेरा,
तुम संकट हरियो मेरा-२