जय देवेन्द्रजाकान्त जय मृत्युञ्जयात्मज ।
जय शैलेन्द्रजासूनो जय शम्भुगणावृत ॥ १ ॥
जय तारकदर्पघ्न जय विघ्नेश्वरानुज ।
जय देवेन्द्र जामातः जय पङ्कजलोचन ॥ २ ॥
जय शङ्करसम्भूत जय पद्मासनार्चित ।
जय दाक्षायणीसूनो जय काशवनोद्भव ॥ ३ ॥
जय भागीरथीसूनो जय पावकसम्भव ।
जय पद्मजगर्वघ्न जय वैकुण्ठपूजित ॥ ४ ॥
जय भक्तेष्टवरद जय भक्तार्तिभञ्जन ।
जय भक्तपराधीन जय भक्तप्रपूजित ॥ ५ ॥
जय धर्मवतां श्रेष्ठ जय दारिद्र्यनाशन ।
जय बुद्धिमतां श्रेष्ठ जय नारदसन्नुत ॥ ६ ॥
जय भोगीश्वराधीश जय तुम्बुरुसेवित ।
जय षट्तारकाराध्य जय वल्लीमनोहर ॥ ७ ॥
जय योगसमाराध्य जय सुन्दरविग्रह ।
जय सौन्दर्यकूपार जय वासववन्दित ॥ ८ ॥
जय षड्भावरहित जय वेदविदां वर ।
जय षण्मुखदेवेश जय भो विजयी भव ॥ ९ ॥
इति जय स्कन्द स्तोत्रम् ।