Pushtipati Stotram (Devarshi Krutam) – पुष्टिपति स्तोत्रम् (देवर्षि कृतम्)

P Madhav Kumar

 

देवर्षय ऊचुः ।
जय देव गणाधीश जय विघ्नहराव्यय ।
जय पुष्टिपते ढुण्ढे जय सर्वेश सत्तम ॥ १ ॥

जयानन्त गुणाधार जय सिद्धिप्रद प्रभो ।
जय योगेन योगात्मन् जय शान्तिप्रदायक ॥ २ ॥

जय ब्रह्मेश सर्वज्ञ जय सर्वप्रियङ्कर ।
जय स्वानन्दपस्थायिन् जय वेदविदांवर ॥ ३ ॥

जय वेदान्तवादज्ञ जय वेदान्तकारण ।
जय बुद्धिधर प्राज्ञ जय सर्वामरप्रिय ॥ ४ ॥

जय मायामये खेलिन् जयाव्यक्त गजानन ।
जय लम्बोदरः साक्षिन् जय दुर्मतिनाशन ॥ ५ ॥

जयैकदन्तहस्तस्त्वं जयैकरदधारक ।
जय योगिहृदिस्थ त्वं जय ब्राह्मणपूजित ॥ ६ ॥

जय कर्म तपोरूप जय ज्ञानप्रदायक ।
जयामेय महाभाग जय पूर्णमनोरथ ॥ ७ ॥

जयानन्द गणेशान जय पाशाङ्कुशप्रिय ।
जय पर्शुधर त्वं वै जय पावनकारक ॥ ८ ॥

जय भक्ताभयाध्यक्ष जय भक्तमहाप्रिय ।
जय भक्तेश विघ्नेश जय नाथ महोदर ॥ ९ ॥

नमो नमस्ते गणनायकाय
नमो नमस्ते सकलात्मकाय ।
नमो नमस्ते भवमोचनाय
नमो नमस्तेऽतिसुखप्रदाय ॥ १० ॥

इति श्रीमन्मुद्गले महापुराणे एकदन्तचरिते पञ्चषष्टितमोऽध्याये देवर्षिकृत पुष्टिपति स्तोत्रम् ॥

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