Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics: जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति, यहां पढ़ें गणेश जी की यह आरती

P Madhav Kumar

 

Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics: यदि पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान गणेश जी की पूजा की जाए तो जीवन की परेशानियां समाप्त होती हैं। साथ ही सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। इसलिए यदि आप किसी परेशानी में हैं, तो गणेश जी की पूजा के दौरान उनकी आरती जरूर करें।

Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics: भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव माने जाते हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणपति बप्पा की पूजा जरूर की जाती है। कहा जाता है कि सुखकर्ता, दुखहर्ता भगवान श्री गणेश भक्तों की सभी कष्टों और परेशानियों को दूर करने वाले हैं। धार्मिक मान्यता है कि यदि पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान गणेश जी की पूजा की जाए तो जीवन की परेशानियां समाप्त होती हैं। साथ ही सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। इसलिए यदि आप किसी परेशानी में हैं, तो गणेश जी की पूजा के दौरान उनकी आरती जरूर करें। ये रही 'जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति' आरती की लिरिक्स...   

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

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