तर्ज : देना हो दीजिये….
गणनायक महाराज को प्रथम करा आहवान,
म्हारा कारज सफल बनादो, थारो ऊँचो स्थान ॥
शिवयोगी का पुत्र लाड़ला, पार्वती का प्यारा हो,
एक दन्त गजवदन विनायक, सब देवां स न्यारा हो,
आ जाओ दूंद दुंदाला, म्हे करां थारा गुणगान ॥
ऋषि मुनि और देवी देवता, करै बड़ाई थारी जी,
ऋद्धि सिद्धि शुभ लाभ के दाता, थे सबका हितकारी जी,
सब शुभ कामां म देवा, होव थारो सम्मान ॥
थान्न प्रथम मनाय करां हाँ, म्हे किर्तन को शुभ आरम्भ,
देरी मतना करो दयालू, अब आ जाओ थे अविलम्ब,
संग देवी देवता ल्याज्यो, थारी सब स पहचान ॥
“सेवक मण्डल” का सब टाबरिया, हर्ष हर्ष गुण गाव है,
“बिन्नू” भी भगतां क सागै, जय जयकार लगाव है,
किर्तन में रंग जमाज्यो, मानांगा म्हें एहसान ॥